'गर उमीदों में दुनिया बसा कर ,
ज़िन्दगी से खुश हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर आंसुओं में सपने दबा कर ,
गुमसुम गुमनाम हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर अपने कल को माफ़ कर ,
आज उसमे यादें ढूंढते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर सुबह सूरज के साथ जागकर ,
अपनी रूह को सुला देते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर पुर्ज़ा कर्ज़े में डूबा के ,
जीवन की नैया तैराते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर लहू का हर ज़र्रा तुम्हारा ,आज ज़िंदा नहीं है ,
बस जी रहा है ,
तो हाँ मेरे दोस्त , साँसों के गुनेहगार हो तुम ॥
ज़िन्दगी से खुश हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर आंसुओं में सपने दबा कर ,
गुमसुम गुमनाम हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर अपने कल को माफ़ कर ,
आज उसमे यादें ढूंढते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर सुबह सूरज के साथ जागकर ,
अपनी रूह को सुला देते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर पुर्ज़ा कर्ज़े में डूबा के ,
जीवन की नैया तैराते हो तुम ,
क्या साँसों के गुनेहगार हो तुम ?
'गर हर लहू का हर ज़र्रा तुम्हारा ,आज ज़िंदा नहीं है ,
बस जी रहा है ,
तो हाँ मेरे दोस्त , साँसों के गुनेहगार हो तुम ॥